मेरा नाम दिलीप है.. यह मेरी पहली कहानी है और जो ग़लती हो; तो उसे माफ़ कर दीजिएगा. इस कहानी में मेने अपनी भाभी को भाई की मर्जी से उनके ही सामने चोदा और मजे दिए.
तीन साल पहले की बात है; जब मेरी बहन की शादी थी.
तब शादी के दूसरे दिन सभी मेहमान अपने घर चले गए थे; कुछ मेहमान अभी रह गए थे. घर में जगह कम होने की वजह से मैं भाभी और भाई के साथ सो गया; करीब दो बजे मेरी नींद खुली; तो मैंने महसूस किया कि भाई भाभी के साथ कुछ कर रहे हैं.
मैंने ध्यान से देखा कि भाई भाभी की चूचियां दबा रहे हैं; भाभी दबी आवाज में कह रही थीं- आह्ह.. मत करो; दिलीप जाग जाएगा.
भाई ने कहा- वो सो रहा है.
फिर भाई ने उन की साड़ी ऊपर की और उनकी चूत में उंगली लगा दी.
उनकी चूत शायद गीली थी; इसलिए भाभीने आराम से भाई की उंगली चूत से चबा ली.
अब भाई ने भाभीसे कहा- तुम अपने मुँह से मेरा लंड को चूसो.
भाभीने अपनी स्थिति बदल कर अपने मुँह में भाई का लंड ले लिया और चूसने लगीं; फिर कुछ देर बाद भाई ने उनको सीधा लिटा कर उनकी चूत में अपना लंड पेल दिया.
भाभी थोड़ा सा चिल्लाईं; फिर भाई ने भाभी की चुदाई करनी चालू कर दी; कुछ ही समय बाद भाई का पानी निकल गया.
भाभी ने कहा- यार तुमने बड़ी जल्दी अपना पानी गिरा दिया.
भाई बोला- क्या तुमको और लेना है?
अब मैं थोड़ा सा हिला तो भाभी ने भाई से कहा- हाँ यार.. लेकिन दिलीप जाग गया है.
भाई ने भाभीसे धीरे से कहा- दिलीप का लंड लेना चाहोगी?
भाभी ने सिर हिलाकर ‘हाँ’ कर दिया.
तब भाई ने मुझे हिला कर जगाया और सीधे-सीधे पूछ लिया- तुमने हम दोनों कि चुदाई देख तो ली ही है; अब बोल तू अपनी भाभीकी चुदाई करेगा?
मैंने पहले तो एकदम से अचकचा गया फिर मैंने धीरे से कहा- हाँ.. पर वह नहीं करने देंगी.
भाई ने कहा- मैंने तेरी भाभीसे पूछ लिया है.
मैंने मुंडी हिलाते हुए कहा- ठीक है.. लेकिन आप बाहर चले जाओ.
भाई उठ कर बाहर चले गए और भाभी वहीं पर नंगी पड़ी थीं.
भाभीने अपनी बाँहें फैला कर कहा- आओ दिलीप!
मैं धीरे से उनके बगल में चला गया. फिर मैंने उनको किस किया और उनकी चूचियां दबाने लगा.
उसने कहा- आह्ह.. दिलीप धीरे-धीरे दबाओ.
मैंने भाभीके नीचे उनकी चूत में हाथ लगाया तो मुझे बड़ा मज़ा आया. उनकी चूत एकदम साफ़ और सूखी थी क्योंकि उन्होंने भैया से चुदने के बाद चादर से अपनी चूत पोंछ ली थी.
मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाला; तो आसानी से नहीं गया तो भाभीने अपने मुँह से थूक निकाल कर अपनी चूत पर लगा लिया.
अब वो बोलीं- हाँ.. अब डालो.
मैंने अपना लंड चूत की फांकों में लगाया और थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो मेरा लंड भाभी की चूत में घुसता चला गया.
वह थोड़ा सा चिल्लाईं- आह्ह.. दिलीप धीरे-धीरे करो.. तुम्हारा लंड मोटा है; मुझे दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- भाभी, मेरा तो छोटा सा है.
भाभीने कहा- साले मेरे अन्दर गया है; तो मुझे पता है कि तेरा कितना छोटा और मोटा है.
फिर मैं हँसते हुई भाभीकी चूत की चुदाई करने लगा. मैंने उन से कहा- भाभी थोड़ा कुतिया की तरह बन जाओ.. तो ज्यादा मज़ा आएगा.
वह कुतिया की तरह बन गईं.. फिर क्या था.. मैंने अपना लंड उनकी चूत की जगह ना लगाकर उनकी गांड में लगा कर पेल दिया.
अब वह चिल्लाने लगीं- दिलीप तुमने कहाँ लगा दिया?
मैंने कहा- भाभी थोड़ा सा दर्द होगा.. फिर आराम मिल जाएगा.
उनको मेने कस के पकड़ रखा था जिससे भाभी ज़रा सा नहीं भी हिल पा रही थीं.
मैंने उनकी चुदाई करनी चालू कर दी अब भाभी ज़ोर से चिल्लाने लगीं- आह्ह.. दिलीप बाहर निकालो.
मैंने उनकी एक नहीं सुनी और भाभी की गांड की चुदाई करने लगा. कुछ देर बाद भाभी को आराम मिलने लगा.. तो भाभी ने मस्त होकर कहा- तुमने यह सब कहाँ से सीख लिया.. बड़ा मजा आ रहा है.
फिर मैंने कहा- ब्लू-फिल्म में ऐसे ही गांड मारते हैं.
भाभीने मस्त होते हुए कहा- दिलीप और ज़ोर से चुदाई करो; मुझे बहुत मज़ा आ रहा है; तुम्हारे भाई तो सीधे-सीधे चूत चोद लेते हैं और सो जाते हैं.
फिर थोड़ी देर बाद भाभी बोलीं- दिलीप तुम चुदाई सही करते हो.. ऐसी चुदाई करो कि मुझे एक बच्चा पैदा हो जाए.
मैं पूरे मन से भाभीको चोद रहा था.
तभी अचानक भाभीको पेशाब लगी.. वो बोलीं- मुझे पेशाब करने जाना है.
मैंने कहा- भाभी मुझे देखना है कि तुम पेशाब कैसे करती हो?
वह बाथरूम में पेशाब करने के लिए बैठ गईं.. मैंने नीचे झाँक कर देखा तो उन की पेशाब की धार बड़ी लम्बी थी. पेशाब करने के बाद उनसे मैंने कहा- भाभी मुझे तुम्हारी चूत चाटनी है.
भाभीने कहा- मुझे भी तुम्हारा लंड चूसना है.
अब हम दोनों बिस्तर पर आकर 69 की पोजीशन में लेट गए और भाभीने मेरा मुँह लेकर अपनी चूत को मेरे मुँह से लगा दिया. मैं उनकी चूत चाटने लगा और वह मेरा लंड चूसने लगीं.
कुछ देर बाद मैंने कहा- भाभी मेरा पानी गिरने वाला है.
भाभीने कहा- मेरे मुँह में ही गिरा दो.
मैंने अपने लंड का माल भाभीके मुँह में ही गिरा दिया. भाभी लंड का सारा पानी पी गईं.
कुछ देर बाद भाभीने कहा- अब मुझे छोड़ो; मुझे फिर से पेशाब लगी है.
मैंने कहा- आप पेशाब मेरे मुँह में ही कर दो ना.
भाभीने मना कर दिया- नहीं.
फिर मैंने ज़िद की- नहीं; मेरे मुँह में कर दो.
तो भाभीने कहा- एक शर्त पर करूँगी कि तुम लेटोगे और मैं तुम्हारे मुँह पर बैठ कर पेशाब करूँगी.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं लेट गया और वह मेरे मुँह पर बैठ गईं और धार बना कर पेशाब करने लगीं.
मैंने भाभीकी पेशाब को स्वाद ले कर पी और मुझे बड़ा मज़ा आया. उनकी पेशाब नमकीन सी थी.
उस दिन से मैंने भाभीको जब भी मौका मिला.. उनकी खूब चुदाई की.. भैया तो राजी थे ही सो किसी बात का कोई डर भी नहीं था. कई बार तो मैंने भैया के सामने ही उनकी चूत चोदी और हम दोनों ने मिल कर भी भाभीकी चूत और गांड एक साथ मारी.. वो किस्सा फिर कभी लिखूंगा.
Achha he😁😂😂😂
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